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Khatu Shyam

Tragedy

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Khatu Shyam

Tragedy

वो और सिर्फ वो

वो और सिर्फ वो

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तुम समझो मुझे कभी ये ख्वाहिश मेरी,

क्यों सदा ख्वाहिश ही रही?


मोहब्बत तो कर ली मैने तुमसे,

 पर हर कदम मेरी आजमाइश ही रही।


कहकर भी खुद को ना कर पाए नाम मेरे तुम,

और दिल को बस तुमसे तुम्हारी ही गुजारिश ही रही।


दुनिया में आज चाहत सबकी बस दौलत है,

पर सच्चे इश्क को सदा रूह की फरमाइश ही रही।


बहुत व्यस्त है मेरे दिल में रहने वाला वक्त नहीं उसे,

ये मोहब्बत मेरी जैसे उसके लिए बस नुमाइश ही रही।



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