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Khatu Shyam

Drama Fantasy

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Khatu Shyam

Drama Fantasy

मोहब्बत

मोहब्बत

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वो जैसे मेरे जिस्म का एक अंग था ,

दूर होकर भी वो हमेशा मेरे संग था।


बिखरती -सिमटती रही यह जिंदगी,

इस फिजा का वह जैसे कोई रंग था।


कही खिलते है क्या गुलाब बिन कांटों के,

जीत का रंग बिना मुश्किलों के बदरंग था ।


चाहत रहती इस दिल में उसको पाने की, 

दिल में रहने वाला वह भी मुझ जैसा तंग था


दूर होकर अब भी बसा रहा वह इस दिल में, 

उसकी पाक मुहब्बत का यही तो अजब ढंग था ।

 

कहने को तो रिश्ते अब टूट गए दिलो के सारे,

बचा रहा कैसे वह दिल में देख दिल भी दंग था ।


दिल में रहने वाला शख़्स इश्क़ था राधे का,

या दिल और जिंदगी में चल रहा कोई जंग था ।



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