आँसू
आँसू
इक बेघर की आंख के आँसू,
दम तोड़ता उसका जीवन
शून्य में निहारती पलकें
इक सूनापन इस जीवन में
कोरो से गिरते , छलकती निगाहें,
इस दर्द भरे मन को संभालने
अन्तिम साँस की डोर
क्षितिज के उस पार
जाना है उसको
सब कुछ छोड़ कर
पीछे रह गई सिर्फ सिसकियाँ
अपनों के लिए एक सूनापन
और रुदन ।