आज की इन्सानियत
आज की इन्सानियत
इन्सान में इंसानियत खत्म हो गयी है,
एक गर्भवती हथिनी के साथ हैवानियत हो गयी है।
खिलाकर अन्नानास पटाखो भरा,
माँ और एक बच्चे की हत्या हो गई है।
बेजुबान जानवर के जज्बात कोई जान न सका,
मगर बेगैरत इन्सान की इन्तेहा हो गई है।
जान तो थी पर बोल नहीं सकती
उसकी बेजुबानी उसका काल हो गई।
मानवता को शर्मसार करने वालो,
तुम्हारी बेरहमी की इन्तेहा हो गई है।
क्या पाया तुमने उस बेजुबान की जान लेकर,
ये तो तुम्हारी पापो की इन्तेहा हो गई है।
क्या दुश्मनी थी जो बेवजह दो को मौत के घाट उतार दिया,
अपने धन के लालच में हथिनी और बच्चे को मार दिया।