Swapnil Jain
Others
चलता रहा जीवन का कारवां
ना थके ना रुके चलते रहे
पाना था मंजिल, कर लिया जुनून
पाया बहुत कुछ पर ना मिला सुकून
सोचा था मिलेगा कभी हमें भी आशियाना
पर ढलती रही जिंदगी और बुझता रहा शामियाना।
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