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Minal Aggarwal

Fantasy

4  

Minal Aggarwal

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यह अलादीन का चिराग था

यह अलादीन का चिराग था

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यह एक चिराग था

यह कोई मामूली चिराग नहीं था

यह अलादीन का चिराग था

जो किसी के हाथ लग जाये तो

उसकी सब इच्छायें पूर्ण करता

था

सबकी कामनायें तो पूरी कर

पाता था पर

कभी कभी सोचता था कि

मेरी तमन्नाओं का क्या

इतना मूल्यवान हूं पर

मेरा ख्याल रखने वाला

कोई नहीं

मेरी भावनाओं को समझने

वाला कोई नहीं

मुझे प्यार करने वाला कोई

नहीं

सारी उम्र मुझे घिसा गया है

मुझसे काम निकाला गया है

मेरा खजाना खाली किया

गया है लेकिन

मेरे काम आने वाला कोई

नहीं

मेरे मन के किसी खाली कोने को कहीं से

भरने वाला कोई नहीं

सबने मुझे इस्तेमाल

बस इस्तेमाल किया

क्या किसी ने मुझे भी

कभी कुछ चाहिए

यह विचार किया

मैंने तमाम उम्र

ऐसे ही गवा दी

अब तो बचपन, जवानी

सब पड़ाव पार कर लिए

यह तो मेरी जिंदगी का

आखिरी पड़ाव लगता है

अब तो यह चिराग बस

बुझने वाला है

इसके बदन में से दम

निकलने वाला है

इसके जादू का असर

अब बस खुद तक ही

सिमटने वाला है

यह बस अपनी आखिरी

कोई ख्वाहिश हो तो

उसे खुद को बता दे और

पूरा करने की कोशिश करे

शायद वह पूरी हो जाये

शायद इसका मन

इसकी जिंदगी के आखिरी

पल में इसे सुख और

संतुष्टि से भर पाये

शायद इसे दुनिया को

अलविदा कहने से पहले

कोई सपनों की राजकुमारी मिल

जाये जो

इसे आखिरी सांस

लेने से पहले

यह हसीन दुनिया छोड़ने से

पहले

सच्ची मोहब्बत का एक

वफा की ताजा

महक से भरे

दिल की बंद खिड़की खोलते

जन्नत की हवा के झोंके का अहसास

करा ही जाये।


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