घर
घर
हर घर और आंगन कुछ कहता है,
सुख और दुःख वह सब सहता है।
रिश्तेदारी से दुनियादारी तक का सफ़र
सबकी कहानी यह बयान करता है।
प्यार मोहब्बत से सबको बाँधे रखता है,
इक दूजे पे अटूट विश्वास हमेशा रहता है।
समय के चक्र में गर नाराज़गी दिखे तो
प्रेम भाव से सिंचित मन उसको बहलाता है।
बाहर की थकावट घर पहुँच दूर होती है,
हृदय को शक्ति प्रदान कर सशक्त बनाता है।
हिंसा द्वेष भावना को जड़ से समाप्त कर
दिल को सुकूँ से रहना ये घर सिखाता है।
बाल से वृद्धा तक सब की यहां पर चलती है,
मौजूदगी सबकी दिल को बेहद ही हर्षाता है।
नन्हे कदम से बुजुर्ग के अनुभवों का यह
एक छोटा सा सही, एक विशाल दुनिया कहलाता है।