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Lopamudra Pal

Inspirational

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Lopamudra Pal

Inspirational

लेकिन या लेखनी

लेकिन या लेखनी

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कलम को हाथ में लेकर ऐसे ही घुमाने लगी,

सोच के बवंडर में डूब गई,

फिर दिल के कोने से एक आवाज आई--


'किस लिए जीया जाता है,

किस लिए दुआएं मांगी जाती है,

जो भाता है,वह खुशी ही देता है,

हमेशा दुसरों के लिए नहीं,

कभी कभार अपने लिए जीया जाता है !


लिखनी शुरू कर के तो देख,

खुशी उसमें अपरम्पार है,

बयान न कर सके यह लफ्ज़,

कलम-ए-सियाही देते ये उपहार है।'


'लेकिन' का कगार छोड़ कर,

'लेखनी' पर जोर देते हैं अब,

मोहताज नहीं है किसके साथ की,

अब शब्दों से खुशी ही मिलती है।


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