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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

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कवि धरम सिंह मालवीय

Drama

इस तरह याद आना नहीं चाहिए

इस तरह याद आना नहीं चाहिए

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ख़्वाब कोई दिखाना नहीं चाहिए

हमको इतना सताना नहीं चाहिए

जिंदगी में हमारी न तुम आ सके

इस तरह याद आना नहीं चाहिए


दिल लगाया कभी प्यार तुमने किया 

दिल लगाकर मुझे तुमने बिसरा दिया

आपको यार दिल हमने अपना दिया

आपने भी हमे दर्द दिल दे दिया

जब नहीं था निभाने का बस हौशला

दिल किसी से लगाना नहीं चाहिए


बे  सहारो के तुम भी सहारा बनो

वो भबर छोड़कर तुम किनारा बनो

रात में जो दिखाता चले राह को

आसमा का वही धुर्व तारा बनो

हो सके तो मका आज रौशन करो

घर किसी का जलाना नहीं चाहिए


बाग में फूल जब भी खिला ही नहीं

आदमी मिल गया दिल मिला ही नहीं

पाक रिश्ते मुहब्बत के कैसे बने

प्रेम का जब कोई सिलसिला ही नहीं

जो नहीं जानते मांन इन्शान का

उनसे रिश्ते  बनाना नहीं चाहिए


 आपने  दी सदा आ गए पास हम

चाहतों की लिए साथ इक प्यास हम

पास तुमने  बुलाया  हमें ये लगा 

आपके ही लिए हो गए खास हम

पास अपने सनम जब बिठा ना सको

पास अपने  बुलाना नहीं चाहिए।


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