हाथ आया पर मुँह न लगा
हाथ आया पर मुँह न लगा
मेरी किस्मत का अलख, हर बार, कुछ ऐसा जगा है,
भगवान तेरी माया, हाथ तो आया, पर मुँह न लगा है।
सब कुछ, जो पाया, वो एक भ्रम सा ही लगा है,
भगवान तेरी माया, हाथ तो आया, पर मुँह न लगा है।
बहुत ख्वाब अधूरे रह गए, बहुत तदबीरें डूब गईं,
हर बार हासिल कुछ न मिला, हर मंज़िल दूर रही,
हर काम नाकाम हुआ, नाकामियों का ही सिलसिला है,
भगवान तेरी माया, हाथ तो आया पर मुँह न लगा है।
खाबों को पूरा आसमान न मिला, न मेहनत को पूरी ज़मीन मिली,
हर भोर हुई तारो ताज़ा मगर, पंकज की पूरी खुशबू न खिली,
हर बार राह भटकता गया, हर सफर पर शून्य ही मिला है,
भगवान तेरी माया, हाथ तो आया पर मुँह न लगा है।
कुछ रिश्ते छूट गए, कुछ दोस्त भी थे जो रुठ गए,
न इश्क मिला, न रश्क मिला, हर महफ़िल से हम उठ गए,
न मंदिर मिला, न मदिरा के हुए, इबादत से भी कुछ न मिला है,
भगवान तेरी माया, हाथ तो आया पर मुँह न लगा है।