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Jaydeep Vegda

Romance

4  

Jaydeep Vegda

Romance

मैं अब भी बसता हूं

मैं अब भी बसता हूं

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मैं अब भी बसता हूं

किसी की यादों में,

किसी की बातों में,

बरसात की पहली बूंदों में,


थककर पेड़ पर बैठे हुए उन परिंदो में,

कभी न रुकती नदियों में,

अनसुलझी हुई पहेलियों में,

किसी की चिठ्ठियों में, किसी की कसमों में,

सूखी हुई पेड़ की पत्तियों में,


बरसों से सूखे किनारों में,

तेरी जुल्फों को लहराती हवाओं में,

मायूसी से हसते हुए बीमारों में,

अधूरी कहानी वाली किताबों में,

दरारों वाली दीवारों में ,


मैं अब भी बसता हूं,

जिंदगी के अंधे इशारों में।


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