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Jaydeep Vegda

Abstract

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Jaydeep Vegda

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जिंदगी और प्यार

जिंदगी और प्यार

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उजाले कुछ इस कदर हो रहे है जिंदगी में,

देखोगे तो हम अंधेरे में जले मिलेंगे,


मसले कहां ख़तम होते है जिंदगी के,

अब हम दर्द के साथ गले मिलेंगे,


बीज अभी बोया है इश्क़ का मैंने,

तेरी साख़ पर एक दिन खिले मिलेंगे,


ये सोचकर आजकल मिल नहीं पाते लोग,

वक्त नहीं है अब कैसे मिलेंगे,


खाली कर दिया है मैंने खुद को मुझमें से,

किसी रोज हम तेरी आंखों में भरे मिलेंगे।


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