आशीष उर्वशी को
आशीष उर्वशी को
तव पाणिग्रहण के इस शुभ अवसर पर,
हरपल सुखी रहो आशीष है यही हमारी।
दाम्पत्य जीवन तुम्हारा सदा मनभावन हो,
दोनों कुटुम्बों के लिए हो अति मंगलकारी।
भुवन के उर में अब रहो प्राण प्रिय उर्वशी,
दो कुलों की बेटी तुम शौकत और शान हो।
दिनेश के गेह में खुश रहो कुसुम के संग में,
कीर्ति इस कुल की मान और अभिमान हो।
प्रेम सन्तोष के संग बेटी तुम हो पली,
खुशियां तुम को मिलें सारी ही संसार की।
मणि तुम हो लालमणि जी के परिवार की,
सदा जैसे रही हो लाडली तुम आज तक ,
वर्षा होती रहे सतत् ही समृद्धि प्यार की।
शुभ सत्ताईसवीं तिथि चौथे माह अप्रैल की
इक्कीसवीं है सदी ,जीवन में इक्कीस रहो।
शुभ-परिणय तुम्हारा,आशीष हमारी है यही
मिले प्यार सबसे सदा,सदा ही हर्षित रहो।
आज है शुभ पूर्णिमा चैत्र मधुमास की और
मधुरता सम्पूर्ण जीवन में यह सदा ही रहे।
खुशी की बहार ज्यों शीतल चांदनी चांद की
तव जीवन में रहे जब तक चांद सूरज रहे ।
तुम प्रफुल्लित रहो भरा पूरा परिवार हो,
तुम्हारे स्वर्णिम जगत में बहार ही बहार हो।
पूरी होवें मनोकामनाएं कृपा प्रभु की रहे,
प्रभु विनती" धनपति "की यह स्वीकार हो।