भाई दूज
भाई दूज
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का हुआ आगमन।
भाई बहन के लिए मानो खुशियों से भर गया है प्रांगण।।
बहन की पूजा प्रार्थना में रहती है सदैव यही
कामना।
भैया को मिले जहां भर की खुशी मुसीबत से न हो सामना।।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का हुआ आगमन।
बैठी थाली सजाकर बहना, जाने कब हो भैया का आगमन।।
बहन तो भाई के दिल की पल पल का हाल है जानती।
बहन भाई को असीमित खुशियाँ देने की मन में ठानती।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का हुआ आगमन।
भाई को टीका लगा हाथ पूजने तक निराहार रहेगी बहन।
प्रीत के रंग में रंगी बहन, टीका लगाये पूरा बन ठनकर।
भाई ने लिया आज प्रण, बहना की रक्षा करूँ जीवन भर।।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ आगमन।
गंगा यमुना के जल की धार सम हो भैया का भरा पूरा जीवन।
बहना ब्याह कर ससुराल जाये, प्यार भाई को दूज पर खींच लाये।
परदेश से भी भाई दौड़ा आये, दूज का त्योहार दोनों संग मनाये।।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का हुआ आगमन।
खुशी बहन को दे सके, हर भाई करता है जतन।
बहन चाहती नेह की डोर से बँधा रिश्ता नया व मजबूत बनाना।
भरोसा रक्षा का जिससे मिले, भूलती नहीं उसे टीका लगाना।।
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का हुआ आगमन।
ईश का वरदान यह त्योहार, मानता जिसे प्रत्येक मानव मन।
हर बहन भाई को एक ही शिक्षा देती है भाई दूज पर।
लाचार लड़कियों की रक्षा भाई समान करना, मुसीबत आने पर।।
