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Himani joshi

Abstract

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Himani joshi

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आगे बढ़ जाना...

आगे बढ़ जाना...

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कुछ अनछुए से उन जज्बातों का आना,

कुछ खूबसूरत ख्वाबों का अधूरा रह जाना, 

एक छोटी सी बात पर भी दिल का यूं मुस्कुराना,

खुद की उन हरकतों पर खुद को ही समझाना ।


आसान लगता था बातों को पीछे छोड़ आना

 पर आसान नहीं होता यूं आगे बढ़ जाना


 नई-नई भावनाओं ने मन को मचलाया था,

 हां तुम ही ने तो मुझे ख्यालों में डुबाया था 

एक नया सा एहसास पहली बार हुआ था

 बिन एक शब्द के भी उन बातों ने मुझे गहराई तक छुआ था


फिर अचानक एक पल में ख्वाबों का टूट जाना,

आसान नहीं यूँ आगे बढ़ जाना


वो ख्यालों की दुनिया भी बेहद अजीब थी,

न पूरी होने वाली ख्वाहिशें ही मेरे सबसे करीब थी।

न दिखने वाले उन धागों की डोर में खुद को बांध लिया,

इन धागों को दिल में छिपाया जब किसी ने उसका नाम लिया।


उस एक नाम से ही दिल की धड़कन का बढ़ जाना,

आसान नहीं यूँ आगे बढ़ जाना।


सोचा ना था कभी एक दिन ऐसा भी आएगा

 वह अनकहा रिश्ता बिन कहे दूर हो जाएगा

 सारी भावनाओं का वह ज्वार बस आंखों में रह गया

 किस मोड़ पर अब खड़ी हूं क्या बाकी था रह गया।


 सारी उम्मीदों का एक पल में बिखर जाना

 आसान नहीं यूँ आगे बढ़ जाना


 बरसों बीत गए उस उलझन को सुलझाने में ,

वक्त बहुत ले लिया नई बातों को अपनाने में,

 आगे बढ़ जाने का वह दर्द बयां कर पाना आसान नहीं,

 आज भी जिक्र होने पर उसका आंखें नम होती है कहीं ना कहीं,


 राहों में हर पल खुद को ठगा सा पाना,

 आसान नहीं यूँ आगे बढ़ जाना।

                 


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