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Anita Koiri

Abstract Romance

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Anita Koiri

Abstract Romance

भूलती गलियां

भूलती गलियां

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गलियों का किस्सा पुराना है

यहां न कोई अपना अब सब बेगाना है


न वो रहे न हम रहे ना अब वो जमाना है

समय भाग गया अब न कोई फसाना है


अब न बचा कोई अफसाना है

क्या लिखूं तेरे बिन ये दिल भी करता हरकतें बचकाना है


नासमझ है ये दिल इसको मुश्किल समझाना है

तुम याद न आओ तो सही


फिर तुम क्या हमें खुद को भी भूल जाना है।


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