भूलती गलियां
भूलती गलियां
गलियों का किस्सा पुराना है
यहां न कोई अपना अब सब बेगाना है
न वो रहे न हम रहे ना अब वो जमाना है
समय भाग गया अब न कोई फसाना है
अब न बचा कोई अफसाना है
क्या लिखूं तेरे बिन ये दिल भी करता हरकतें बचकाना है
नासमझ है ये दिल इसको मुश्किल समझाना है
तुम याद न आओ तो सही
फिर तुम क्या हमें खुद को भी भूल जाना है।

