दीदारे यार
दीदारे यार
ये दुनिया तो हमेशा इश्क के
खिलाफ रही है
अब कुदरत भी खिलाफ हो गई है
जो रेत पर लिखा था हमने
वो जगह अब साफ हो गई है।
घर से बाहर निकलना गुनाह हो गया है
चारो ओर मौत का सन्नाटा है
कुदरत की नाराजगी बेइंतहा है
ये मौत का फरमान किसने बाँटा है।
तेरे दीदार के लिए मेरी बेसब्र आँखे
कई दिनों से तरस रही थी
आज जी भर के निहार लेने दे
मुस्करा रही है मेरी आँखे जो कई दिनों से
बरस रही थी ।
यूँ तो इश्क का जिस्म से
क्या वास्ता
आँखों से रूह तक है
इश्क का रास्ता।