Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

GURU SARAN

Tragedy

4.5  

GURU SARAN

Tragedy

निष्ठा की जंजीर

निष्ठा की जंजीर

1 min
413


युगों युगों से होता आया

नारी का अपमान

जबकि पत्थर की देवियो का

हम करते हैं सम्मान


मंदिरों मे देवियो को

परीधान चढ़ाते हैं  

दर्शन की अभिलाषा मे

दुर्गम पर्वत पर चढ़ जाते हैं


कैसे वही हाथ

नारी का चीर हरण करता है

देव पुत्र हो कर भी

पाप वरण करता है। 


पत्नी को सम्पति मान कर

जुआ मे दांव लगा दो

ये कैसी राज सभा

जिसमे कुलवधु को निर्वस्त्र करा दो। 


धर्म राज कहलाने वाला

अधर्म का राही हो जाता है

चौसर और पासे का प्रेमी

क्यो धर्म राज कहलाता है। 


एक सती को वेश्या कह के

सतित्व का अपमान किया

व्यर्थ हुआ सब धर्म कर्म

कर्ण ने जितना भी दान किया। 


भीष्म पितामह बंधे हुए हैं

निष्ठा की जंजीर से

ऐसी उम्मीद नही थी द्रोपदी को

ऐसे महावीर से। 


बेचैन विदुर नेत्र हीन महाराज को

समझाते रहे

रोकिये राजन ये महा पाप

सह ना सकेगा कोई सती का श्र।प


चीर बढ़ाते रहे कृष्ण

पापी थक कर ठहर गया

पांडवो के नस नस मे

प्रतिशोध का जहर गया। 


महा भारत का बीज पड़ा

बीज से अंकुर फूटा

मारे गए सब महावीर

दुर्योधन का सपना टूटा। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy