सरहद के निगेहबान
सरहद के निगेहबान
हथेली पर रखते है अपनी जान
सरहद के निगेहबान
वे असली हीरो है वतन के
माँ भारती की शान।
नापाक इरादे से जो छुएगा
मेरी माँ के दामन को
बच ना पायेगा वो दुश्मन
बुरी नजर से जो देखेगा प्यारे चमन को।
आशिक वतन के
मौत से कब डरते है
जिस्म गिरता है
वे नही मरते है।
हर सैनिक की यही तमन्ना होती है
शहीदों की फेहरिस्त मे उसका नाम आए
वतन के वास्ते
ये जिंदगी काम आए।
माँ का प्यार, पिता का दुलार
बहन की राखी, महबूबा की आँखो का इंतजार
ये सब उसे भी याद आता है
पर सैनिक सरहद पर सब भूल जाता है।
