दोस्ती
दोस्ती


यहाँ हर पल मंजर बदल जाता है
देखते देखते समन्दर बदल जाता है
दिन महीने साल बदले
पर तू नही बदला।
जब चारो ओर से
अंधेरो ने मुझें घेर लिया
अपनो ने मुह फेर लिया
पीछे से मेरे कन्धे पर एक हाथ आया।
जब मै लम्हा लम्हा बिखर रहा था
उस समय एक तू ही था मेरे आस पास
तेरा साथ मिला मै सवरनें लगा
दोस्ती मेरा हौसला मेरा विसवास
मुझे आग की तपिश से बचाते बचाते
कई बार तू झुलस गया
भंवर से मुझे निकाल दिया
खुद भंवर मे फंस गया।
एक तू ही है
जो हर खुशी हर गम मे
मेरे साथ रहा
मेरे कन्धे पर तेरा हाथ रहा।
तेरी दोस्ती का कर्ज
मै कैसे चुकाउंगा
जिंदगी की शाम ढल रही है
यकीनन मै लौट के आऊंगा।