ऐ मेरे वतन के लोगो
ऐ मेरे वतन के लोगो
आजाद मुल्क, अपना मुल्क
हुकुमत अपनी हुकुमरान अपने
फिर क्यो टूट रहे
हम सब के सपने।
वतन क्यो उदास है
क्यो नही है खुशनुमा मंजर
क्यो छुपाये है लोग
आस्तीन मे खंजर।
मुल्क अपना हुकुमत अपनी
फिर भी देश का भविष्य बैचैन है
चारो और अफरा तफरी
बताओ वतन के किस हिस्से मे चैन है।
सोने की चिडिया
क्यो है आज कर्ज के बोझ तले
वतन के खातिर क्या हमारा कोई फर्ज नही
जिसकी गोद मे पैदा हुए जिसकी गोद मे पले।
कब तक सबको मिल जाएगा
रोटी, कपड़ा, और मकान
दर 2 क्यो भटक रहा है
मुल्क का अपने नौजवान।
क्यो हैं मजदूर किसान बेहाल
मुल्क का क्या हो गया हाल
अब कब आयेगी सोन चिरैया
सियासत से है एक सवाल।
