हम कभी नहीं मिल सकेंगे
हम कभी नहीं मिल सकेंगे
हम फिर कभी नहीं मिल सकेंगे
जैसे नदी के दो किनारे हो।
जो लहरों से टकराकर अपनी
अलग-अलग धाराओं में बह
जाते हैं।।
वो चांद की रोशनी की तरह
तुम हमेशा मन के किसी कोनेे में
जो रोशन होने होने के लिए
किसी पूनम का इंतजार नहीं करताा।।
सब भूल जाती हूं तुझे देखकर
ना जाने कैसा सुकु नजर आता है
तेरे चेहरे में जो कभी ना ख़त्म
होने वालाा हो
हम फिर कभी ना मिल सकेंगे।