यादें
यादें
मेरे दिल के दरवाजे पर दस्तक देती हैं कुछ यादें
तेरी कदमों की आहट से खुल जाती है वह यादें
अंगूठी तेरी पहनाई हुई मेरे हाथों में है सजी हुई
सजना था तुम्हें मेरी मांग में
माथे पर बिंदी आज भी मैंने सजाई नहीं ।
जानती हूं मैं इस इंतजार का कोई मतलब नहीं
पर दिल को ये बात मैं समझा पाई नहीं
लाल जोड़े में लिपटे अरमान मेरे
कंगन पहनाए जाने का इंतजार करते हैं ।
मैं बेबस खड़ी देखती रहती हूं
कुछ टूटी उम्मीदों मैं भी जोड़ती रहती हूं ।

