STORYMIRROR

Dr. Tulika Das

Romance

4  

Dr. Tulika Das

Romance

यादें

यादें

1 min
161

मेरे दिल के दरवाजे पर दस्तक देती हैं कुछ यादें 

तेरी कदमों की आहट से खुल जाती है वह यादें 

अंगूठी तेरी पहनाई हुई मेरे हाथों में है सजी हुई

सजना था तुम्हें मेरी मांग में

माथे पर बिंदी आज भी मैंने सजाई नहीं ।

जानती हूं मैं इस इंतजार का कोई मतलब नहीं

पर दिल को ये बात मैं समझा पाई नहीं

लाल जोड़े में लिपटे अरमान मेरे

कंगन पहनाए जाने का इंतजार करते हैं ।

मैं बेबस खड़ी देखती रहती हूं

कुछ टूटी उम्मीदों मैं भी जोड़ती रहती हूं ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance