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Sarita Kumar

Romance

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Sarita Kumar

Romance

प्यास

प्यास

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मेरी आंखों को प्यास है तुम्हारे दीदार की ।

घर के आंगन को इंतजार है तुम्हारे आने की ।

दरवाजे पर खड़ी तुलसी को और

छत के मुंडेर को और गलियों के बच्चों को इंतजार है ।

वो जो घरौंदा बनाया था हमने साथ साथ ,

उस घरौंदे को इंतजार है एक मुलाकात की ।

आज भी खड़ी हूं वहीं पर ......!

जहां से तीन दशक पार तुम हो गये हो ....

तुम्हें याद नहीं आती वो बातें , मुलाकातें , रद्दी सी बनाई हुई मेरी चाय ।

क्योंकि तुम तीन दशक पार हो गये हो ।

नहीं खिलते वो मुस्कान तुम्हारे मुखड़े पर 

नहीं मचलता दिल मुझसे मिलने को ,

छनकती पायलों की आहट नहीं धड़काती दिल ।

सिक्कों को कांच से जोड़ते वक्त क्षणांश

भर का स्पर्श नहीं करता आंदोलित तुम्हें ...

हवा के झोंको ने लहराया था दुपट्टा मेरा ....

छूआ था तुम्हें .......

झट से खींच कर उस कोर में बांध लिया था तुम्हें ....

इसलिए अब तलक तुम पास हो मेरे .....

मैं आज भी वहीं हूं जहां से तीन दशक पार हो गये हो तुम ।


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