महका नशा है
महका नशा है
नयी नज्म सा खूबसूरत है मौसम।
मुहब्बत सी मीठी खुमारी भरा है।
अलमस्त अंगड़ाइयों सा है मौसम।
हवा के झकोरो में महका नशा है।
लरजती झिझकती ये हल्की सी रिमझिम,
अभी तोड़ डालेगी रस्में हया को।
बरसेगी दिल खोल कर आसमां से,
कि बूंदों के घुंघरू बजेंगे छमाछम।
बच्चों की किलकारियां बन के नावें,
डूबेंगी उतरेंगी हर गली में ।
बहकेंगे आंचल, उलटेंगे छाते।
टोपी करेगी हवाओं से बातें।
सहेजे समेटे सलीके से बांधे,
हसीनों के गेसू बगावत करेंगे,
सराबोर हो जायेंगे सब नज़ारे,
कई चेहरे शबनम के झरने बनेंगे।
कहीं धड़कनें तेज़ होने लगेंगी, तो
कुछ नग्में भीगे लबों पर सजेंगे।
कहीं गुपचुपा मौन संवाद होगा
तो झुकती पलक पर लिखा प्यार होगा।
गरम चाय की प्यालियों संग खनकती,
यारों की महफिल सँवरने लगेंगी।
यूँ ही बेसबब, बेवजह, कहकहों संग,
जवानी के किस्सों को ताज़ा करेंगे।
ये कैसी फ़़िजा है कैसा है जादू,
सभी थोड़े मदहोश से हो रहे हैं।
कई रंग धुँधले फुहारों में धुल के
नये हो मचलने बहकने लगे हैं।
अभी मेरी नानी किसी गीत की
कोई मीठी सी धुन गुनगुनाती गई हैं।
औ, मेरे नाना की नजरें मुहब्बत में
भीगी हुई उनके पीछे गई हैं।
मुझे ऐसे लगता है मधुरिम पलों का
संंजोया, सहेजा खज़ाना खुला है ।
अलमस्त अंगड़ाइयों सा है मौसम
हवा के झकोरो में महका नशा है ।

