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अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'

Inspirational

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अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'

Inspirational

बढ़ता जा तू बिना रुके

बढ़ता जा तू बिना रुके

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बढ़ता जा तू बिना रुके,

एक दिन मंजिल पा जाएगा।

दुर्गम चढ़ाई हो कितनी भी,

रख हिम्मत, चढ़ जाएगा।


मुश्किल भरी डगर हो फिर भी,

हार करो स्वीकार नहीं।

राहों में जो बाधाएँ हैं,

ये पुष्प हैं, अंगार नहीं।


हिम्मत रखो तुम चींटी सम,

जो कई बार फिसलती है।

फिर भी दृढ़-प्रतिज्ञा होकर के,

दीवारों पर चढ़ती है।


द्रुतगामी होकर भी खरहा,

दौड़ में मुँह की खाता है।

शनै:-शनै: चलते रहने से,

कूर्म लक्ष्य पा जाता है।


न रुको कभी, न आलस्य करो,

यह सूत्र है मंजिल पाने का।

जो संकल्पित हो बढ़ते हैं,

हक मिलता विजयी कहलाने का।


जो पथ में आलसपन से,

रंचमात्र भ्रमित नहीं होगा।

वह सफलता के उच्च शिखर पर,

खड़ा होकर गर्वित होगा।


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