आशीर्वाद
आशीर्वाद
मैंने सीखा है
उगते को नौसिखिया कहना
डूबते का अनुभव लेना
हाँ उगते की बात अलग है
लेकिन पूरे दिन तपने के बाद
उसका डूबना तो गजब है,
जिसने उगते को सूरज कहा
डूबते को क्यों न कहेगा ?
दोनों ही उसकी नियति है
दोनों ही दशा में वो सूरज है
और यही उसको देती तृप्ति है,
इसी तृप्ति के साथ उसका रोज़ निकलना
सम्पूर्ण जगत में चेतना भरना
इसी चेतना के साथ जब बादल भी आते है
हमारी आशाओं और उम्मीदों पर बरस कर
हमारे खेतों को अपना आशीर्वाद दे जाते हैं ।
