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Laxmi Yadav

Inspirational

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Laxmi Yadav

Inspirational

ऐसा गाँव है, मेरा....

ऐसा गाँव है, मेरा....

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मेरे गाँव की मिट्टी, 

भेजे मुझको चिट्ठी, 

कितनी प्यारी सुबह है इसकी, 

उससे भी सिंदूरी शाम है इसकी, 

ऐसा गाँव है मेरा.... 

कच्चे दीवारों में प्यार समाया, 

चूल्हे पर कितना स्वाद समाया, 

उससे भी ज्यादा अपनों ने प्यार से खिलाया, 

ऐसा गाँव है मेरा.... 

हर खेतों में हरियाली अंगड़ाई लेती है, 

अब भी हर माँ काजल का टीका लगाती है, 

बहना रानी कितने सपन संजोती है, 

पर भैया के मर्ज़ी पूछा करती है, 

ऐसा गाँव है मेरा..... 

पर समय का चक्र कब रुकता है, 

मैं सात समुंदर पार माया की नगरी में हूँ, 

यहाँ पक्की दीवारों में जान नहीं है, 

यहाँ अपनों का कोई संसार नहीं है, 

यंत्रों ने हमको भी यंत्र बना दिया..... 


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