फूल हूं
फूल हूं
मैं खुद में मशगूल हूं,गुलशन में लगा इक फूल हूं।
माना कांटो के बीच लगा हूं,मैं शूल नहीं एक फूल हूं
भौंरे आते रस ले जाते,लोग शहद मुझी से बनाते
सुख दुख एक दूजे के अंग हैं,तभी संग है
यह पाठ पढ़ाता रूल हूं।।
