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Alok Dixit

Abstract

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Alok Dixit

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किस्मत

किस्मत

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किस्मत का मारा हूं, हां मैं बेचारा हूं।

रहना था आसमान में लेकिन मैं टूटा तारा हूं।


एक दौर वह था जब रास्ता बनाने के लिए खोद लेते पहाड़ थे।

हम वही हैं,दौर बदल गया,लिफ्ट हुई खराब तो पहाड़ बदल गया।।



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