प्रेम
प्रेम
जाने वह कैसे सोई होगी,सोते सोते रोई होगी
आंख के आंसू से रोते रोते सुबह का बर्तन धोई होगी
यह सोंचकर रोया मैने,दर्द को अपने बोया मैने
सुबह अंकुरित पाया उसको,उसने छोड़ दिया अब मुझको
उसका दर्द सोचकर, मैं बेदर्द हो गया
सोंच सोंच कर इतना रोया,समुंदर भर गया।।