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Alok Dixit

Romance

3  

Alok Dixit

Romance

दर्द

दर्द

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तेरी गली से कई बार गुजरा 

कुछ बार तो तू दिखी,कुछ बार किसी से पूछ भी न सका।।

सोचा ठहरूं मिल लू तुमसे,आंखें भी रुक के भींच न सका।

घर वालों को देखकर तेरे,सांसे भी मैं खींच न सका।

प्रोफाइल तुम्हारा ढूंढ रहा हूं,दर्द को अपने भींच रहा हूं

अपने आंसू को दरिया बना के,प्रेम को तेरे सींच रहा हूं।।


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