दर्द
दर्द
तेरी गली से कई बार गुजरा
कुछ बार तो तू दिखी,कुछ बार किसी से पूछ भी न सका।।
सोचा ठहरूं मिल लू तुमसे,आंखें भी रुक के भींच न सका।
घर वालों को देखकर तेरे,सांसे भी मैं खींच न सका।
प्रोफाइल तुम्हारा ढूंढ रहा हूं,दर्द को अपने भींच रहा हूं
अपने आंसू को दरिया बना के,प्रेम को तेरे सींच रहा हूं।।