उदास मन भटक रहा उस की तरफ जिसको हमने खोया था आज के रोज। उदास मन भटक रहा उस की तरफ जिसको हमने खोया था आज के रोज।
गांववालों उठो देखो अब सीता की परीक्षा कब तक ? गांववालों उठो देखो अब सीता की परीक्षा कब तक ?
पिता नीरद है गगन की, पिता धारा है जीवन की। पिता नीरद है गगन की, पिता धारा है जीवन की।
वह अपने सब सपने भूल, और अपनी उम्मीदों को तोड़ अपनी जिंदगी के मकसद को ही भूल जाए। वह अपने सब सपने भूल, और अपनी उम्मीदों को तोड़ अपनी जिंदगी के मकसद को ही भूल ज...
तो ससुराल वाले क्या समझेंगे यह सोच कर कहते हुए सासु माँ जोर से हँस पड़ीं।पूछा जाना है आगे पढ़ने?... तो ससुराल वाले क्या समझेंगे यह सोच कर कहते हुए सासु माँ जोर से हँस पड़ीं।पू...
दिन जैसे -जैसे नज़दीक आते है, धड़कने बढ़ती चली जाती है शादी वाले दिन समझो चाँदनी रात छा जाती... दिन जैसे -जैसे नज़दीक आते है, धड़कने बढ़ती चली जाती है शादी वाले दिन समझो ...