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Meenakshi Gandhi

Drama

5.0  

Meenakshi Gandhi

Drama

ये कैसी बहादुरी

ये कैसी बहादुरी

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आज किसी ने कहा-

वह बहादुर है बहुत,

सब हँसते-हँसते

झेल लेती है,


वह सब सह लेती है

और उफ़्फ़ तक

नहीं करती।


ऐसी बहादुरी

किस काम की ?

जो उसे दर्द तो दे

पर कोई मरहम ना दे।


अंदर ही अंदर

उसे खोखला कर दे,

डर के घेरे में वो

ऐसी फँस जाए

कि बाहर आने की

उसे कोई राह

दिखाई ना दे।


लोग कहते हैं कि-

वो समझदार है बहुत,

सबकी खुशी का

ध्यान रखती है,


वह समझदार है बहुत

सबकी उम्मीदों पर

खरी उतरती है।


ऐसी समझदारी भी

आख़िर

किस काम की ?


जो उसकी खुद की

खुशियों का गला घोट ,

उसकी उम्मीदों

और अस्तित्व को,



इस कद्र खत्म कर दे

कि वह अपने

सब सपने भूल,

और अपनी उम्मीदों को तोड़

अपनी जिंदगी के मकसद

को ही भूल जाए।।


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