उपवास
उपवास
आज किसी को सुन्दर देखकर कर,
मैंने खुद को कम नहीं आंका ।।
आज किसी का बड़ा घर देख कर ,
खुद का घर छोटा नजर नहीं आया ।।
आज किसी को खुश देख ,
मैंने अपने गमों को नहीं कोसा ।।
आज किसी को बड़े रेस्तरां में खाते देख ,
अपने खाने का स्वाद कम नहीं होने दिया ।।
आज किसी को कामयाब देख ,
अपनी मेहनत को नजरंदाज नहीं किया ।।
आज किसी की फैली चादर को देख ,
खुद के पैर फैलाने का मन नहीं हुआ ।।
आज मैंने संतुष्टि की ओर रुख कर लिया ,
तुलना के बंधन से खुद को मुक्त कर लिया ।।
आज आखिर ऐसा क्या हुआ...
आज फोन और सोशल मीडिया से मैंने उपवास कर लिया ,
खुद के लिए मैंने आज का ये दिन खास कर लिया ।।