डर
डर
रिया की शादी को
तीन महीने बीत चुके थे।
पर वह खुद को सहज नहीं
महसूस कर पा रही थी
सुसराल नया -नया है
इसलिए कुछ कह भी नही पा रही थी
सासू माँ समझ तो रही थीं किन्तु
पहले क्या कहें इसी उधेड़बुन में
लगी रही फिर एक दोपहर जब घर
में कोई न था सासू माँ ने आवाज
दी,रिया इधर तो आना,जी माँ जी
कहती हुई रिया तुरन्त हाजिर हुई।
आपने बुलाया? हां आओ इधर बैठो
कहते हुए पास में बिठा लिया और
प्रेम से उसकी असहजता का कारण पूछा
रिया ने डरते हुए एक बार उनकी
नजरों में देखा और कहने लगीं
मैं अभी शादी नहीं करना चाहती
थी।क्यों?सासू माँ के पूछने पर
उसने बताया उसे पढ़ाई हेतु बाहर
जाना था पर इसके लिए घर वाले
तैयार नहीं थे और तुम्हारी शादी
करवा दी यही ना पर तुम्हें ये बात
पहले ही क्यों नही कही,डर लगता
था जब मायके वाले नही समझे
तो ससुराल वाले क्या समझेंगे यह
सोच कर कहते हुए सासु माँ जोर
से हँस पड़ीं।पूछा जाना है आगे पढ़ने?
रिया थोड़ा आश्चर्य से उनकी ओर देखने लगी
अरे भई तुम्हीं से पूछ रहे हैं कहाँ जाना है?
कब जाना है,शौक से जाओ
हमारी तरफ से कोई मनाही नहीं।
तुम बहू बनी हो,गुलाम नहीं जो
जायज काम भी न कर सको
चलो अभी तुम्हारा दाखिला करवाते हैं
ठगी सी रिया उन्हें यूँ
देख रही थी जैसे उसे ससुराल में
सासू नहीं खजाना मिला हो। ....
