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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

चाय पार्टी

चाय पार्टी

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"वो" चाय पार्टी मेरे जीवन का अमूल्य अंग बन गई 

उस चाय पार्टी में एक शोख हसीना से आंखें लड़ गईं 

उसके गोरे मुखड़े पे काली काली लटें बहुत फब रही थीं 

उसकी कातिल मुस्कान हमारे मन को मथ रही थी 

हम रात दिन उसके ही खयालों में डूबने लगे 

उसके साथ सीधे "हनीमून" के मंसूबों में कूदने लगे 

एक दूसरी चाय पार्टी में वो फिर से नजर आई 

हमारे दिल में फिर एक बार खुशी की लहर आई 

हमने नजदीकी बढाने के लिए अपना परिचय दिया 

उसने बगल में बैठे सज्जन के कंधे पे हाथ रख दिया 

बोली "इनसे मिलिए ये मेरे पति मिस्टर राय हैं 

अब आप कहिये कि आपकी मेरे बारे में क्या राय है" 

हम सीधे आसमान से गिरकर जमीन पर आ टपके 

चाय पार्टियों में अपने साथ होते रहे हैं ऐसे खटके 

ऐसा नहीं है कि हमारे साथ वैसा पहली बार ही हुआ था 

अपना तो चाय पार्टी वाला हर अनुभव ऐसा ही रहा था 

इसलिए अब हमने चाय पार्टियों से तौबा ही कर ली है 

कुछ इस तरह अकेले ही अपनी जिंदगी बसर कर ली है।



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