उड़न हास्य कविता
उड़न हास्य कविता
क्या कहे तकदीर की बात
तकदीर ने मारा उछलकर लात
जा गिरा शहर गुजरात
वहां पर देखा बबूल की कांटा
बबूल की कांटा पर तीन तालाब
तीन तालाब तीन कैसी कैसी
दो तालाब तो सूखे साखे
एक तालाब में पानी नहीं
जिस तालाब में पानी नहीं
उसमे कूदा तीन मल्लाह
तीन मल्लाह तीन कैसी कैसी
दो मल्लाह तो उबड़ा कुबड़ा
एक मल्लाह का पते नही
जिस मल्लाह का पते नही
उसने पकड़ा तीन बोवारी
तीन बोवारी बेचा तीन रुपिया में
तीन रुपिया तीन कैसी कैसी
दो रुपिया तो टुटल फुटल
एक रुपिया तो चलबे नही किया
जो रुपिया चलबे नही किया
उससे बसाया तीन गांव
तीन गांव तीन कैसी कैसी
दो गांव तो उजड़ा पुजड़ा
एक गांव बसबे नही किया
जो गांव बसबे न
ही किया
उसमे बसा तीन कुम्हार
तीन कुम्हार तीन कैसी कैसी
दो कुम्हार तो अंधरा लंगड़ा
एक कुम्हार के हाथ नही
जिस कुम्हार के हाथ नही
उसने बनाया तीन हड़िया
तीन हड़िया तीन कैसी कैसी
दो हड़िया तो फूटल फाटल
एक हड़िया में पेंदी नही
जिस हड़िया का पेंदी नही
उसमे डाला तीन चावल
तीन चावल तीन कैसी कैसी
दो चावल तो घुनल पुनल
एक चावल तो सीझबे नही किया
जो चावल सिझबे नही किया
उस पर बैठा तीन पहुना
तीन पहुना तीन कैसी कैसी
दो पहुना तो रूसल फुसल
एक पहुना खैबे नही किया
जो पहूना खइबे नही किया
उसको मारा तीन हुर्रा
तीन हुर्रा तीन कैसी कैसी
दो हुर्रा तो अगल बगल
एक हुर्रा पहुचबे नहीं किया।