शराबियों की निकल पड़ी
शराबियों की निकल पड़ी
हुई बरसात लाई सौगात,
शराबियो की निकल पड़ी,
व्हिस्की, रम की चल पड़ी,
खूब जमी महफिल दिन रात।
कोई पकौड़े ले आया है,
तो कोई अंडे लाया चार,
कोई चाट रहा आचार,
खत्म हुआ सब शिष्टाचार।
दौर चला शराबियो का,
धंधा बढ़ा कबाबियों का,
घर वाले हुए सब परेशान,
जग गए शराबी शैतान।
मिल गया बहाना उनको,
मौसम है ये पीने का अब,
तो बिन पिए इस मौसम में,
कैसे रहेंगे जिंदा यार।