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Shreya Raj

Comedy Drama Inspirational

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Shreya Raj

Comedy Drama Inspirational

दोबारा

दोबारा

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आगे बढने की ललक थी, 

हर विचार में आधुनिकता की महक थी

इकीसवी शताब्दी थी

इनकी सोच सबसे अलग थी। 


कुछ नई-नई आज़ादी थी, 

तरीको में बेबाकी थी

स्वार्थ ने भी घेर लिया , 

बस अपनी किस्मत आज़मानी बाकी थी। 


हर वो काम कर लिया जो उनके हाथों में थी

हर वो बीज बो दिया जिसके फल ने पैसों में वृद्धि की, 

अब क्य अपना क्य पराया था

हम सब ने ही पैसों का पेड़ लगाया था। 


उन पेड़ों को पानी देते-देते हमारी नदिया तलाबे सुख गयी

' हमारे पेड़ तो लग गए ' ,ये सोच अभी भी कितनो को दुख नही

शायद ईश्वर को भी पसंद आया ये अंदाज़ हमारा, 

उन्होंने भी दिखा दिया, अगर तरीका न बदला तो बरसात न मिलेगी दोबारा। 


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