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Shreya Raj

Abstract Tragedy Inspirational

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Shreya Raj

Abstract Tragedy Inspirational

अजय

अजय

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जिसने दुख के जंग को जीत लिया, 

खुशी का अहसास उसी को

जिसने उन कंटकमय

पथों को खुशी से सींच लिया

मंजिल का आभास उसी को। 


उड़कर गिरते तो गैर हैं, 

हमें तो उसने है पाँव दिये

कदम-कदम मीलों चल लेंगे

दिलों में पनपते ख्वाब लिए। 


रोकेंगे जो रोके हमको

अंगारो में झोकेंगे जो झोके हमको

हम तो ठहरे वे नदियाँ अति अभिलाषी

अनिल भी नतमस्तक हो जाए

जिसे कण-कण में है प्रेम भरा। 


पथ भी अपना, मंजिल भी अपनी

कदम भी अपने जीत भी अपनी

बस खुद को पहचान कर

चल पड़ेगा मन वो उमंग भरा। 


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