ऐसा ही कोई कवि
ऐसा ही कोई कवि
चाँद से कोरे कागज़ को,
रंग दे ख्वाबों के सतरंगी रंगो से जो
ऐसा ही कोई कवि
मेरे सपनों में आता है।
चाँद सितारों तक पहुँच न हो जिसकी,
मगर फिर भी पूरे ब्रह्मांड की सैर कर आता है जो
ऐसा ही कोई कवि
मेरी कल्पनाओं के चित्र बनाता है।
कुछ शब्दों भर लोभी हो कर भी,
अपनी पद, काव्य से तन-मन मोह ले जाता है जो
ऐसा ही कोई कवि
मुझे मंज़ूल गीत सुनाता है।
कुछ न कह कर कर भी,
बहुत कुछ कह जाता है जो
ऐसा ही कोई कवि
कभी कभी मेरी पंक्तियों से निकलकर बहुत कुछ कर देना चाहता है।