कैसा अजब ही रंग मन मेरे अब तो तजो कुसंग। कैसा अजब ही रंग मन मेरे अब तो तजो कुसंग।
जिसके पेट में उसकी खोजी मशीनें अन्न नहीं दिखाएंगी जिसके पेट में उसकी खोजी मशीनें अन्न नहीं दिखाएंगी
तू ही एकमात्र जग उजियारे दुष्टों को भी तू सजा देता है, तू ही एकमात्र जग उजियारे दुष्टों को भी तू सजा देता है,