महा मानव
महा मानव
कई सौ
साल बाद
जब लोभी
खोजी मनुष्य को
मिलेंगी धरती की
परतों में दबी
पत्थर हुई सिकुड़ी देहें
वह संभवतः उनमे से
उसे ही पढ़ेगा,
समझेगा,
जिसके पेट मे
उसकी खोजी मशीने
अन्न नहीं दिखाएंगी।
मगर
रोटी का
टुकड़ा लिए
उसके हाथ होंगे
कई और छोटी-बड़ी
और भी सिकुड़ी देहों के
जीवाश्मों के बीच।
अनदेखे,
अनजाने मानव
इतिहास की तरह
संभवतः
दानी और भूखों की
अवधारणा पर
वो होगा
उस धुंधली सदी का
महान मानव।
