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Shreya Raj

Comedy Classics Inspirational

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Shreya Raj

Comedy Classics Inspirational

क्या है ये?

क्या है ये?

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अपना कीमती समय हम कई बार बातों-बातों में बिता देते है

'आज करे सो कल कर ,कल करे सो परसो'

जैसे ट्रेंड्स को अपने दिल-ओ-दिमाग में उतार लेते है

सोशल मीडिया के मायाजाल में सहर्ष हम खुद को समा लेते है। 


आजकल युवाओ को इंस्टाग्राम के 'रिल्स' ही टिकाऊ लगते है

और जो समय की थोरि कद्र करे वो हमे 'वीडियो कंटेंट्स' के बाजार में बिकाऊ लगते है

अब हमे झुंड के साथ चलना ही बुद्धीमानी लगती है

आए दिन किसी न किसी की टिप्पणी देश में विद्रोह की नई कहानी लिखती है। 


"उसके फॉलोवर्स मुझे ज्यादा है";" उसके लाइक मझसे ज्यादा है"

जैसी बाते हमारे दिल को झकझोर देते है

इतने कमजोर हो गए है हम की

इन बेकार की बातों के कारण हम कई बार

अपनी अच्छी से अच्छी दोस्ती तक तोर देते है। 


परिवार से ज्यादा अब हम इंटरनेट को अहमियत देते है। 

असली और बनावटी दुनिया में अंतर किये बिना ही, 

हम खुद को बड़े शान से 'सोशल' कहते है। 


क्य है ये सोशल मीडिया? 

क्य ये समय की बर्बादी है जिसमे फसी सारी आबादी है?

क्य ये ज्ञान का भंडार है या पल भर में सब भस्म कर दे ऐसा अंगार है ?  

क्य ये रोजगार है या आने वाली हर क्रांति का द्वार है? 

यह गंदगी का भंडार है या अवसरों का बाजार है? 

अगर देखा जाए तो हमे 'फर्श से अर्श 'तक का सफर

अकेले तय करा दे ये ऐसा हथियार है। 


बस अंतर इतना है की हथियार चलाने से पहले सीखना पड़ता है

अगर तरीक़ा सही हो तो सफलता हमारी संपत्ति बन जाए

और गलत हो तो हमारे अस्तित्व पर भी विपत्ति आ जाए। 


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