STORYMIRROR

Shreya Raj

Abstract Classics Inspirational

4  

Shreya Raj

Abstract Classics Inspirational

डर

डर

1 min
210

सफलता के उस राह में नये अवसरों की उस चाह में, 

ठोकरो से न डरा करो, 

अगर सपनो को हकीकत में बदलना है तो डटकर उनसे लड़ा करो। 


है जीत सका कहा कोई, बिन लड़ उस जंग को

हार के डर से ही दबा लेते है वे तो अपने अरमानो को उमंग को। 

मंज़िल तो है हर किसी की, और उस पाने की ताकत भी है

मगर कुछ लोग ही पहचान पाते हैं

असफलता के रूप में हुए सफलता के उस आरंभ को। 


लोगो की दी हिदायते सुनकर ही, 

अपने मन में हार के जाले बुनकर ही

थक जाते है, हम रुक जाते है, 

बिन लड़ ही खुद को निर्बल समझ मुसीबतो के आगे झुक जाते है । 


छुपा देते है अपने गलतियों को यू हम, बहानो के पर्दे से

हो सकता है हमारा तरीक़ा गलत हो, मगर हम कुछ नया करने से डरते थे। 

सीखने की कोई उम्र नही, अभी भी बदल सकते है हम

थोरि सी हिम्मत रख हम दिखा सकते है दुनिया को की

हम मे कितना है दम। 


मौके हर बार नही मिलते, मगर एक बार तो सभी को दस्तक देते हैं

अपने डर को हराने वालो पर तो सफलता खुद नतमस्तक होते हैं। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract