चांद
चांद
चांद देखोगी तो मेरी याद आएगी।
फिर अपने मन को तू कैसे समझाएगी।
यूं ही मेरी याद में आंसू बहाएगी।
नए जमाने की हूं मैं यह पुरानी बात ना कर।
नहीं जाना है साथ तुम्हारे बिना वजह फरियाद न कर।
चांद देखूंगी तो अब विक्रम याद आएगा।
सोचूंगी उसकी सतह पर वह क्या पाएगा?
समय बदल गया है अब मुहावरे पुराने नहीं चलेंगे।
थोड़ा तुम बदलना चाहो तो फिर ही मुझे बुलाओ।
यह निश्चित है कि अब घर के सारे काम केवल मुझे ही न करने होंगे।
मुझे बुलाना चाहते हो तो झाड़ू पोछा करने के साथ
बर्तन मांजना भी सीख जाओ।
