डरावनी बरसात
डरावनी बरसात
मिल गई हमे एक रात,
खूब डरावनी बरसात,
निकले थे सफर में अपने,
पर हाल देख लगे कांपने।
थे शहर से हम बहुत दूर,
नशे में थे मित्र सभी चूर,
ड्राइवर ने भी लगा रखी थी,
बात हमने भी समझ ली थी।
दो बार चढ़ी गाड़ी डिवाइडर,
फिर भी ड्राइवर था राइडर,
मैंने ईश्वर को याद किया,
अच्छा हुआ मैं नही पिया।
बड़ी मुश्किल से गाड़ी रुकवाई,
सही सबकी मैने रुसवाई,
सड़क पर पानी घुटनो तक था,
हमारा जीवन भी नथुनों तक था।
बड़ी भयंकर रात थी बरसात की,
अंतिम थी शराबियों के साथ की,
मैंने साथ जाना छोड़ दिया,
शराबियों का साथ ही छोड़ दिया।
