कंजूस
कंजूस
कंजूसी की हद हो गई...
न तो खुद परिमित मात्रा में
अन्नादि करते हैं,
न तो किसी अतिथि को
परिमित अन्नादि परोसते हैं --
कुछ ऐसे मेज़बान भी हैं,
जो कि अपनी हैसियत से भी कम
मेज़बानी किया करते हैं...!
न जाने कहाँ-कहाँ
रुपये-पैसे जमा किया करते हैं,
जो कि वक्त पड़ने पर भी
खर्च नहीं करते --
कुछ ऐसे कंजूस लोग भी हैं इस दुनिया में,
जो कि अपनी दौलत का
अंबार लगाकर बस अपना
अमन-चैन खोया करते हैं...!!
ऐसी स्थिति में क्यों आते हैं
कुछ कंजूस लोग...
जो कि अपने पास सबकुछ होते हुए भी
मुफलिस-सा नज़र आते हैं ?
बेशक़ ये उनके
स्वभाव का दोष है,
जो कि उनकी
विवेक-बुद्धि का
सर्वनाश कर देते हैं...।
हद कर दी इन कंजूसों ने...!