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Nirpendra Sharma

Comedy

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Nirpendra Sharma

Comedy

घरवाली

घरवाली

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मेरी घरवाली मुझको आँखे दिखाती है,

आँखों ही आंखों में मुझको डराती है।

 मेरी घरवाली मुझे...

मेरी पड़ोसन देख मुझे मुस्कुराती है,

हाय हेलो करके मुझसे सब्जी मंगाती है।


मेरी घरवाली देख उसे झल्लाती है,

आँखों ही आँखों में मुझको डराती है।

घरवाली गोरी मेरी पड़ोसन है साँवली,

उसे देख घरवाली हो जाती बाबली।


कहती ये करिया इंहा क्या लेन आती है।

मेरी घरवाली मुझे आँखे दिखाती है,

आँखों ही आँखों में मुझको डराती है।

मेरी पड़ौसन मुझ पर नेह लुटाती है,

छत पर अकेले में चाय पिलाती है,

मेरी घरवाली उसे देख जल जाती है।


मेरी ओर देखकर फिर भौंहे चढ़ाती है।

मेरी घरवाली मुझे आँखें दिखाती है,

आँखों ही आँखों में मुझको डराती है।

पूछा तो हमने कहा खून क्यों जलाती है,

दूध चीनी चाय गैस तेरी बच जाती है।


उसने जवाब दिया चालाकी दिखाती है।

रोज कटोरी लेकर सुबह आ जाती है।

एक कप चाय वो जो तुमको पिलाती है,

बदले में सामान दूना ले जाती है।


मेरी घरवाली मुझे आँखें दिखाती है,

आँखों ही आँखों में मुझको डराती है।

हमने कहा देखो उसे प्यार भरा आँखों में,

तेरे नयन तीरों पर मरहम लगाती है।


उसकी मुस्कान मीठी लगती है कितनी भली,

कितनी मोहब्बत से यार मुस्कुराती है।

उसने जवाब दिया ख्वाब ना सजाओ पिया,

बिना मतलब नहीं नेह जताती है।


तुम्हें घर के कामों में इस्तेमाल कर सके,

बस इसी कारण वह तुमको पटाती है।

मेरी घरवाली बात सच्ची बताती है,

आँखों ही आँखों में मुझको डराती है।।


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